मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक राज्य है। इसकी राजधानी इंफाल है। मणिपुर के पड़ोसी राज्य हैं: उत्तर में नागालैंड और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में इसकी सीमा म्यांमार से मिलती है। इसका क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी (8,628 वर्ग मील) है। यहाँ के मूल निवासी मैतै जनजाति के लोग हैं, जो यहाँ के घाटी क्षेत्र में रहते हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है, जिसे मणिपुरी भाषा भी कहते हैं। यह भाषा 1992 में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई है और इस प्रकार इसे एक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हो गया है। यहाँ के पर्वतीय क्षेत्रों में नागाकुकी जनजाति के लोग रहते हैं। मणिपुरी को एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य माना जाता है।

मणिपुर
राज्य
शीर्ष से दक्षिणावर्त : निंगथौखोंग गोपीनाथ मंदिर, कांगला शा, कांगला महल के अंदर भगवान पखंगबा को समर्पित प्राचीन मंदिर, मणिपुरी नृत्य, लोकटक झील
गान: सना लीबाक मणिपुर[1]
(मणिपुर, स्वर्ण भूमि)
Manipur, a state of India
देश भारत
भारत में विलय15 अक्टूबर 1949[2]
राजधानीइम्फाल
जिले
शासन
 • राज्यपालएल ए गणेशन[3]
 • मुख्य मंत्रीएन बीरेन सिंह (भाजपा)[4]
 • विधायिकाएकसदनीय (60 सीटें)
 • संसदीय लोकतंत्रराज्य सभा 1
लोक सभा 2
 • उच्च न्यायालयमणिपुर उच्च न्यायालय
क्षेत्रफल
 • कुल22327 किमी2 (8,621 वर्गमील)
क्षेत्र दर्जा23वां
जनसंख्या (2011[5])
 • कुल2,855,794
 • दर्जा23वां
 • घनत्व128 किमी2 (330 वर्गमील)
भाषा(एं)
 • राज्य भाषामणिपुरी[6][7]
GDP (2018–19)
 • Nominal Per Capita75,226 (US$1,098.3)
समय मण्डलभामास (यूटीसी+05:30)
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडIN-MN
माविसू (2018)वृद्धि 0.696[8]
मध्यम · 15वां
साक्षरता76.94 % (2011)
वेबसाइटwww.manipur.gov.in
It was elevated from the status of a Union Territory by the North-Eastern Areas (Reorganisation) Act, 1971

मणिपुर का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषणों की भूमि’ है। भारत की स्वतंत्रता के पहले यह रियासत थी। आजादी के बाद यह भारत का एक केंद्रशासित राज्य बना। यहाँ की राजधानी इम्फाल है। यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है। जलवायु गरम एवं तर है तथा वार्षिक वर्षा का औसत 65 इंच है। यहाँ नागा तथा कूकी जाति की लगभग 60 जनजातियाँ निवास करती हैं। यहाँ के लोग संगीत तथा कला में बड़े प्रवीण होते हैं। यहाँ कई बोलियाँ बोली जाती हैं। पहाड़ी ढालों पर चाय तथा घाटियों में धान की खेती होती है। मणिपुर से होकर एक सड़क बर्मा को जाती है।

 
काङ्ला शा : मणिपुर का राजचिह्न

इस राज्य में प्राकृतिक संसाधनों का प्रचुर भंडार है। यहां की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यहां तरोताजा करने वाले जल-प्रपात है; रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे हैं, दुर्लभ वनस्पतियां व जीव-जन्तु हैं, पवित्र जंगल हैं, हमेशा बहने वाली नदियां हैं, पर्वतों-पहाड़ियों पर बिखरी हरी विभा है और टेढ़े-मेढ़े गिरने वाले झरने हैं। लोकटक झील यहां की एक महत्वपूर्ण झील है। भौतिक आधार पर इस राज्य को दो भागों में बांटा जा सकता है, पहाड़ियां व घाटियां। चारों ओर पहा‍ड़ियां हैं और बीच में घाटी है। इस प्रकार प्रकृति की प्राचीन गौरव है। राज्य की कला व संस्कृति समृद्ध है जो विश्व मानचित्र पर इसकी समृद्धि को दर्शाती है।

सतरंगी शिरोइ लिली

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सतरंगी शिरोइ लिली

मणिपुर को देश की 'ऑर्किड बास्केट' भी कहा जाता है। यहाँ ऑर्किड पुष्प की 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। समुद्र तल से लगभग 5000 फीट की ऊँचाई पर स्थित शिरोइ पहाड़ियों में एक विशेष प्रकार का पुष्प शिरोइ लिली पाया जाता है। शिरोइ लिली का यह फूल पूरे विश्व में केवल मणिपुर में ही पैदा होता है। इस अनोखे और दुर्लभ पुष्प की खोज फ्रैंक किंग्डम वॉर्ड नामक एक अंग्रेज ने 1946 में की थी। यह खास लिली केवल मानसून के महीने में पैदा होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसे सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इसमे सात रंग दिखाई देते हैं। इस अनोखे लिली को 1948 में लंदन स्थित रॉयल हॉर्टिकल्चरल सोसाइटी ने मेरिट प्राइज से भी नवाजा था। हर वर्ष उखरूल जिले में शिरोइ लिली फेस्टिवल का आयोजन बड़ी धूम धाम से होता है। इसे देखने दूर दूर से लोग मणिपुर आते हैं।

मणिपुर के लोग

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१८९१ में हुआ अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध

यहाँ तीन प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं। घाटी में मीतई जनजाति और बिष्णुप्रिया मणिपुरी रहती है तो नागा और कूकी-चिन जनजातियाँ पहा‍ड़ियों पर रहती हैं। प्रत्येक जनजाति वर्ग की खास संस्कृति और रीति रिवाज हैं जो इनके नृत्य, संगीत व पारंपरिक प्रथाओं से दृष्टिगोचर होता है। मणिपुर के लोग कलाकार होते हैं साथ ही सृजनशील होते हैं जो उनके द्वारा तैयार खादी व दस्तकारी के उत्पादों में झलकती है। ये उत्पाद विश्वभर में अपनी डिज़ाइन, कौशल व उपयोगिता के लिए जाने जाते हैं। यहाँ नेपाल से आकर बसे नेपालियों की भी अधिक संख्या है, जो मणिपुर के कई इलाकों में बसे हैं।

भौगोलिक स्थिति

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भारत के पूर्वी सीमा पर स्थित यह राज्य 23.83 डिग्री उत्तर और 25.68 डिग्री उत्तरी अक्षांश व 94.78 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच पड़ता है। एक ओर तो पूर्व में म्यांमार है तो नागालैंड उत्तर-पश्चिम

मणिपुर की भौगोलिक स्थिति दर्शनीय है। उत्तरी तथा पूर्वी इलाकों में ऊँची पहाडियाँ है और मध्य भाग में मैदानी समतल है। यहाँ हर पहाड़ के बीच में कोई न कोई नदी बहती हैं। इम्फाल नदी यहाँ की प्रमुख नदी है।

अर्थव्यवस्था

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कृषि व कृषि आधारित उद्योग अर्थव्यवस्था का आधार हैं। राज्य सूचना प्राद्योगिकी आधारित व्यवसायों के लिए एक उपयुक्त स्थान है। यहाँ उच्च शिक्षा की व्यवस्था है, यहां निवेश की अपार संभावनाएँ हैं, खासकर कृषि व खाद्य प्रसंस्कथरण के क्षेत्र में. हथकरघा, दस्तकारी और पर्यटन के क्षेत्र में कई संभावनाएँ है। इन क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने कई नीतियाँ तैयार की हैं साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने के कई प्रोत्साहन देने की भी घोषणा की गयी है।

 
कीबुल राष्ट्रीय उद्यान में संगै (मणिपुर का राज्य पशु)
 
मणिपुर का पारम्परिक पोलो

अपनी विविध वनस्पतियों व जीव-जंतुओं के कारण मणिपुर को 'भारत का आभूषण' व 'पूरब का स्विट्जरलैंड' आदि विविध नामों से संबोधित किया जाता है। लुभाने वाले प्राकृतिक दृश्यों, में विलक्षण फूल-पौधे, निर्मल वन, लहराती नदियाँ, पहाड़ियों पर छाई हरियाली शामिल है। इन सबके अलावा पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं जो राज्य में पर्यटन के विकास के लिए उत्कृष्ठ अवसर प्रदान करता हैं।

श्री गोविंद जी मंदिर, खारीम बंद बाजार (इमा कैथल) युद्ध कब्रिस्तान, शहीद मीनार, नुपी सान (महिलाओं का युद्ध) मेमोरियल कॉम्लेार क्सा, खोंघापत उद्यान, आईएनए मेमोरियल (मोइरांग), लोकटक झील, कीबुल लामजो राष्ट्रीय उद्यान, विष्णुपुर स्थित विष्णु मंदिर, सेंड्रा, मोरेह सिराय गाँव, सिराय की पहा‍ड़ियाँ, डूको घाटी, राजकीय अजायबघर, कैना पर्यटक निवास, खोंगजोम वार मेमोरियल आदि मणिपुर के कुछ महत्त्व पूर्ण पर्यटक स्थल है। मणिपुर देश के सुदूर उत्तरपूर्वी छोर पर स्थित है और, इसका अधिकाँश पहा‍ड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ निवेश के कई अवसर हैं। यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ निवेशकों को आकर्षित करने के लिए काफी संभावनाएँ हैं।

यहां के दर्शनीय स्थलों में इंफाल, उख्रुल प्रसिद्ध हैं। इंफाल में कांग्ला पार्क, गोविंद मन्दिर वहाँ के बाजार, टीकेन्द्रजित पार्क प्रसिद्ध हैं तो उख्रुल की पहाड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। चुडाचाँदपुर जिले में लोकतक झील प्रसिद्ध हैं।

मणिपुर में प्रवेश करने वाले विदेशियों को, चाहे वे यहां जन्मे हों, प्रतिबंधित क्षेत्र पर्मिट लेना आवश्यक होता है। यह चारों मुख्य महानगरों में स्थित विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से मिलता है। यह पर्मिट मात्र दस दिन के लिए वैध होता है, व सैलानी यहां भ्रमण करने के लिए प्राधिकृत ट्रैवल एजेंट द्वारा वयवस्थित चार लोगों के समूहों में ही जा सकते हैं। साथ ही विदेशी सैलानी यहां वायुयान द्वारा ही आ सकते हैं और उन्हें राजधानी इंफाल के बाहर घूमने की आज्ञा नहीं है।

कृषि और खाद्य प्रसंस्करण

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राज्य में कृषि के अनुकूल परिस्थितियाँ हैं। यहाँ की जलवायु और मिट्टी, कृषि व बागवानी वाली प्राय: सभी फसलें उगाने के लिए उपयुक्त है। राज्य में प्रचुर मात्रा में धान, गेहूँ, मक्का, दलहनतिलहन (जैसे तेल, मूँगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी आदि) की खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न फलों जैसे अनानास, नींबू, केला, नारंगी आदि और सब्जियाँ जैसे फूलगोभी, बंदगोभी, टमाटरमटर आदि का उत्पादन किया जाता है। इसके फलस्वरूप खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, कृषि, बागवानी, मछली पालन, मुर्गी पालन, पशु पालन और वनों के विविधीकरण तथा वाणिज्यीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस उद्योग के महत्त्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इंफाल में 'खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण केंद्र और 'खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण हॉल' की स्थापना की है। इंफाल में एक खाद्य पार्क की भी स्थापना की जा रही है।

 
इम्फाल के इमा बाजार का दृश्य

हथकरघा उद्योग राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है। यहाँ यह उद्योग अनादि काल से फल-फूल रहा है। राज्यथ में यह सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध् करा रहा है खासकर महिलाओं को। मणिपुर के प्रमुख हथकरघा उत्पाकद साड़ी, चादर, पर्दे, फैशनवाले कपड़े, स्काधर्फ व तकिए के कवर आदि है। अधिकांश जुलाहे जिन्हेंथ हुनर व महीन डिजाइनिंग के लिए जाना जाता है। वे वाँग खाई बायोन कांपू, कोंगमान, खोंग मैन उल्लालऊ आदि से हैं जो उत्कृमष्टन सिल्कन आदि उत्पामदों के लिए प्रसिद्ध हैं। मणिपुरी कपड़े व शॉलों की राष्ट्रीगय व अंतरराष्ट्री य बाजारों में काफी माँग है।

 यहाँ प्रोत्साहन के लिए बुनकरों और पांच कारीगरों को राज्य पुरस्कार 2019-20 के लिए प्रत्येक को 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।

तीन बुनकरों और 15 कारीगरों को 50,000 रुपये के नकद पुरस्कार के साथ योग्यता पुरस्कार भी प्रदान किए गए। प्रत्येक को 10,000 रुपये का सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किया गया। पुरस्कार विजेताओं के लिए योजना के तहत, व्यावसायिक पैमाने पर अपने पुरस्कार विजेता उत्पादों का उत्पादन करने के लिए 2018-19 के दो राज्य पुरस्कार विजेताओं को प्रत्येक को 4.40 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी वितरित की गई।1 वैसे में बुनकरों में प्रोत्साहन बढ़े और अपने देश के तरक्की में इनका यह छोटा सा कदम सार्थक और सफल साबित हो। तीन सरकारी एजेंसियाँ हथकरघा उत्पाोदन का काम करती हैं ये हैं

  • मणिपुर डेवलपमेंट सोसायटी (एमडीएस)
  • मणिपुर हैंडलूम एंड हैडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉपोरेशन (एमएचएचडीसी)
  • मणिपुर स्टेट हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसायटी (एमएसएचडब्यूज सीएस)

हस्तशिल्प

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देश की विभिन्न हस्तशिल्प कलाओं में राज्य के हस्तशिल्प उद्योग का अनूठा स्थान है। इसके अंतर्गत बेंतबाँस के बने उत्पादों के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन बनाने की संस्कृति भी शामिल है। मणिपुर में मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रथा काफी पुरानी है और यह उद्यम मुख्यतः एंड्रो, सिकमाई, चैरन, थोगजाओ, नुंगवी व सेनापति जिले में किया जाता है। चूँकि बाँस व बेंत काफी मात्रा में उपलब्ध है, टोकरी बुनना यहाँ के लोगों का लोकप्रिय व्यवसाय बन गया है। इसके अतिरिक्ति मछली मारने के उपकरण भी बेंत व बाँस के बनाए जाते हैं। घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन सभी उत्पादों की काफी माँग है।

सूचना प्रौद्योगिकी

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राज्य में आईटी उद्योग की प्रचुर संभावना को देखते हुए मणिपुर सरकार इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को विकास के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उच्च प्राथमिकता देती है। राज्यर में सक्रिय जन शक्ति और गुणवत्तापूर्ण कार्य बल हैं जो ऐसे उद्योगों के लिए अनुकूल हैं। राज्यं में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योगों के विकास के लिए और खाली पदों को भरने के लिए मणिपुर इंडस्ट्रियल कॉपोरेशन का गठन किया गया है। ऐसे आईटी क्षेत्र जहाँ निवेश के अवसर हैं इस प्रकार हैं -

  • आईटी पार्क स्थािपित करने से, आईटी आधारित सर्विस सेन्टर व सूचना कियोस्क स्थापित करने में
  • वायस, डाटा व वीडियो प्रसारण और प्रचार के लिए मणिपुर, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (एमएएनएनटी) के बैकबोन नेटवर्क की स्थािपना की गई है
  • नागरिकों को मल्टी-फंक्शहन इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट कार्ड उपलब्ध कराना
  • स्कूिल व कॉलेजों में आईटी साक्षरता कार्यक्रम
  • आईटी के जरिए दूरस्थ शिक्षा को राज्या में बढ़ावा देने के लिए आईटी साक्षरता कार्यक्रम
 
मणिपुर के जिले

मणिपुर में 16 जिले हैं - इम्फाल पूर्व जिला • इम्फाल पश्चिम जिला • उखरुल जिला • चन्डेल जिला • चुराचांदपुर जिला • तमेंगलॉन्ग जिला • थौबल जिला • बिष्णुपुर जिला • सेनापति जिला

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "'Sana Leibak Manipur' adopted as State Song by Cabinet". thenortheastaffairs.com.
  2. Sinha, L. P. (1987). "The Politics and Government of Manipur". The Indian Journal of Political Science. 48 (4): 487–493. JSTOR 41855332. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0019-5510.
  3. Laithangbam, Iboyaima (27 August 2021). "Ganesan sworn in as Manipur Governor". The Hindu.
  4. BJP leader Biren Singh sworn in as Manipur Chief Minister Archived 15 मार्च 2017 at the वेबैक मशीन, India Today (15 March 2017)
  5. "Manipur Population Sex Ratio in Manipur Literacy rate data". census2011.co.in. मूल से 8 September 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 September 2015.
  6. "At a Glance « Official website of Manipur". मूल से 5 March 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 December 2016.
  7. Abstract of speakers' strength of languages and mother tongues – 2000 Archived 8 दिसम्बर 2016 at the वेबैक मशीन, Census of India, 2001
  8. "Sub-national HDI - Subnational HDI - Global Data Lab". globaldatalab.org. अभिगमन तिथि 17 April 2020.
  9. "State Fishes of India" (PDF). National Fisheries Development Board, Government of India. अभिगमन तिथि 25 December 2020.
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