वामाचार (शाब्दिक अर्थ = बाएँ हाथ की तरफ चलना) से तात्पर्य एक विशेष प्रकार की पूजापद्धति या साधना से है जो न केवल नास्तिक है बल्कि अतिवादी भी है। यह एक तान्त्रिक पद्धति थी। वामाचार का विलोम 'दक्षिणाचार' होता है।

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