सोआ
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सोआ या सोया (एनेथम ग्रेवोलेंस) एक लघु बारहमासी जड़ीबूटी है।[1] यह जीनस एनेथम की एकमात्र प्रजाति है, हालाँकि कुछ वनस्पति विज्ञानियों द्वारा इसे एक संबंधित जीनस प्यूसीडेनम ग्रेवोलेंस (एल) सी॰ बी॰ क्लार्क में वर्गीकृत किया जाता है। पाश्चात्य देशों में इसका इस्तेमाल अधिक है। भारत में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है परन्तु सीमित मात्रा में, जैसे उत्तर प्रदेश में मेथी के पत्तों की सब्ज़ी के साथ सोया भी डालने का प्रचलन है। पैदावार के इलाके के अनुसार यह पौधा सदाबहार या मौसमी हो सकता है।
सोया | ||
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | ||
जगत: | पादप | |
अश्रेणीत: | ऍन्जिओस्पर्म | |
अश्रेणीत: | [[:en:Eudicots | यूडिकॉट]] |
अश्रेणीत: | ऍसटॅरिड | |
गण: | एपिएल | |
कुल: | एपिएसी | |
वंश: | ऍनथम लिनेअस | |
जाति: | ए. ग्रॅविओलॅन्स | |
द्विपद नाम | ||
ऍनथम ग्रॅविओलॅन्स लिनेअस |
यह 40-60 सेमी (16-24 इंच) की ऊँचाई तक बढ़ता है। इसका तना पतला और पत्तियाँ प्रत्यावर्ती, विभाजित और कोमल होती हैं जिनकी लम्बाई 10-20 सेमी (3.9-7.9 इंच) तक होती है। फूल पीले से सफेद होते हैं।
सोआ के बीज एक मसाले के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं और उसकी ताजा या सूखी पत्तियों का खाने में और जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ श्रीवास्तव, अभिलाष (Mon, 31 Oct 2022 07:09 PM). "जानना जरूरी: बेहतर पाचन और डायबिटीज में विशेष लाभकारी हैं ये बीज, इसके सेवन से हड्डियां भी होती हैं मजबूत". Amar ujala. अभिगमन तिथि Mon, 31 Oct 2022 07:09 PM.
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