रात के समय उदयपुर महल का दृश्य

उदयपुर भारतीय राज्य राजस्थान का एक प्राचीन नगर है। यह चौहानवंश के महत्त्वपूर्ण नगरों में से एक था। उदयपुर को महलों की नगरी भी कहा जाता है जिसकी स्थापना महाराण उदय सिंह ने १५६७ ईसवी में की थी।

प्रसिद्धि

सम्पादन

उदयपुर जिला जो कि झीलों, महलों, प्राचीन हवेलियों, प्राचीन दुर्गों तथा विभिन्न स्थलों के लिए पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है इसलिए यहाँ पर कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी की गई है।उदयपुर अपनी झीलों, खूबसूरत महलों, पहाड़ों, कमरों और बाघ उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है।

इतिहास

सम्पादन

१५६८ ईसवी में मुगल साम्राज्य के शासक अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया था उस समय मेवाड़ के शासक राणा उदय सिंह थे इसलिए उदय सिंह ने इस शहर यानी उदयपुर की स्थापना करनी पड़ी। इसके बाद उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बनाई गयी, मेवाड़ जो वर्तमान में राजस्थान के नाम विद्यमान है। यह नागदा के दक्षिण पश्चिम की घुमावदार पहाड़ियों और गिर्वा घाटी में स्थित है। नीली झीलों, अरावली की पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों से घिरा उदयपुर शहर एक वैभवपूर्ण पर्यटन स्थल है।

संस्कृति

सम्पादन

उदयपुर की संस्कृति राजस्थान भर ही नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध रहा है यहाँ ले लोग ज्यादातर रंगबिरंगे कपड़े पहना करते है। यहाँ पर लोग बड़े अच्छे से हर त्यौहार मनाते है।

दर्शनीय स्थल

सम्पादन

जगदीश मन्दिर

सम्पादन

उदयपुर में जगदीश देवालय है, जो महाराणा जगतसिंह ने १६५१ में बनवाया था। 'इण्डो आर्यन्'-शैली में निर्मित ये देवालय विष्णु की कृष्ण(काली) शिलामूर्ति के कारण आकर्षणीय है।

कैसे पहुंचे

सम्पादन

कार द्वारा

सम्पादन

उदयपुर जो कि राजस्थान का एक प्रमुख नगर है इसलिए यहाँ की सड़कें भी बहुत अच्छी है। अगर उदयपुर की यात्रा कार द्वारा करते है तो चित्तौड़गढ़ से ११७ किलोमीटर, अहमदाबाद से २५७ किलोमीटर, जोधपुर से २६० किलोमीटर, अजमेर से ३०७ किलोमीटर, सवाई माधोपुर और रणथम्भोर से ६३८ किलोमीटर, जयपुर से ४२१ किलोमीटर, बीकानेर से ४८८ किलोमीटर, आगरा से ६३८ किलोमीटर, दिल्ली से ६७६ किलोमीटर, मुम्बई से ७२५ किलोमीटर और खजुराहो से ७७६ किलोमीटर है।

हवाई जहाज द्वारा

सम्पादन

उदयपुर में एक हवाई अड्डा भी है जो देबोक हवाई अड्डा या महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। यह हवाई अड्डा उदयपुर शहर से २५ किलोमीटर की दूरी पर उत्तरी दिशा में स्थित है यहाँ से दिल्ली और मुम्बई की रोजाना हवाई जहाजें निकलती है। हवाई अड्डे से टेक्सियाँ हमेशा मिल जाती है जिनका किराया लगभग ६५० भारतीय रुपये रहता है।

रेल द्वारा

सम्पादन

उदयपुर जो कि राजस्थान का एक प्रमुख ज़िला है जहाँ पर कई रेलें चलती है। चित्तौड़गढ़ (६-७ हर दिन, २ घण्टे ₹ १४०) अहमदाबाद (रोजाना, १० घण्टे, ₹ २००), अजमेर (४ हर दिन, ५ घण्टे, ₹१३५-६८०), सवाई माधोपुर (रोजाना, ७ घण्टे ₹२७०-१६२५), जयपुर (३ हर दिन, ७ घण्टे, १७०-८५५), आगरा (रोजाना, १३ घण्टे, ₹३६०-२३५५), दिल्ली (२ हर दिन, १२ घण्टे, ₹३९०-१४४०), मुम्बई (रोजाना, १७ घण्टे, ₹४७५-१७८५), खजुराहो (रोजाना, २१ घण्टे, ₹४८५-३२४५)।

बस द्वारा

सम्पादन

उदयपुर बस की सुविधा यात्रा के लिए कई शहरों से जुड़ा हुआ जो राजस्थान के प्रमुख शहर भी है और भारत के दूसरे राज्य भी। उदयपुर से माउंट आबू के लिए बहुत सी बसें चलती है जिनका किराया लगभग ₹१०० रहते है और समय लगभग ५ घण्टे लगते है। आगरा से उदयपुर की दूरी तय करने में लगभग ६ घण्टे लगते है और किराया ₹१२० रहता है। अहमदाबाद (६ घण्टे, किराया ₹२००), जोधपुर (८ घण्टे, किराया ₹१२५), रणकपुर (३ घण्टे, किराया ₹८५) ,अजमेर (८ घण्टे, ₹१५०), जयपुर (०९ घण्टे, ₹२००), बीकानेर, दिल्ली (१४ घण्टे, ₹४२०), मुम्बई (१६ घण्टे, ₹४०० या ₹६००) तक किराया लगता है।

पर्यटन स्थल

सम्पादन
पिछोला झील उदयपुर

उदयपुर पूरे भारतभर में झीलों की नगरी के नाम से काफी लोकप्रिय है।

  • सिटी पैलेस कॉम्पलेक्स
  • सिटी पैलेस संग्रहालय
  • सरकारी संग्रहालय
  • कांच गैलेरी
  • विंटेज कार
  • जगदीश मंदिर
  • बागोर की हवेली
  • आहर, उदयपुर
  • मानसून भवन
  • उदयपुर की सात बहनें
  • जगदीश मन्दिर

इनके अलावा उदयपुर के आसपास अन्य दर्शनीय स्थल भी काफी प्रसिद्ध है जिनमें,

  • नागदा
  • एकलिंगजी
  • हल्दी घाटी
  • नाथद्वारा
  • कंकरोली तथा राजसमंद
  • राजसमंद झील

उत्सव और मेले

सम्पादन

उदयपुर ज़िले में कई उत्सव और मेले भी काफी प्रसिद्ध है जिसमें मुख्य रूप से मेवाड़ उत्सव और शिल्पग्राम मेला है।

मेवाड़ उत्सव

यह उत्सव उदयपुर में सबसे अधिक प्रसिद्ध है जो वसन्त ऋतू के आरम्भ में मार्च/अप्रैल माह में मनाया जाता है। इसमें महिलाएँ नए - नए वस्त्र पहनती है।

शिल्पग्राम मेला

यह मेला उदयपुर के पश्चिमी क्षेत्र में नवम्बर/दिसम्बर माह में मनाया जाता है यह मेला हर साल में एक बार आता है। इस मेले में राजस्थान के कला एवं संस्कृति की वस्तुओं का प्रचार प्रसार किया जाता है।

  NODES