कीर्ति
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनकीर्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰कीति]
१. पुण्य ।
२. ख्याति । बड़ाई । नामवरी । नेकनामी । यश । यौ॰— कीर्तिस्तभ । यश । प्रसिद्धि ।
३. सीता की एक सखी का नाम
४. आर्या छंद के भेदों में से एक । इसमें २४ गुरू और १९ लदु वर्ण होते हैं
५. दशाक्षरी वृत्तों में से एक वृत्त, जिसके प्रत्येक चरण में तीन सगण और एक गुरू होता है । जैसे, — शशि है सकलंक खरों री । अकलंकित कीर्ति किशोरी ।
६. इकादशाक्षरी वृत्तों में से एक वृत्त, जो इंद्रवज्र के से बनता हैं । इसके प्रथम चरण का प्रथम अक्षर लघु होता है और शेष तीन चरणों के प्रथमाक्षर गुरु होते हैं । जैसे— मुकुंद राधा रमणै उचारो । श्री रामकृष्ण भजिबो सँवारो । गोपाल गोबिंदहिं ते पसारो । ह्वै हैं जबै सिधु भवै उबारो ।
७. प्रसाद ।
८. शब्द ।
९. दीप्ति ।
१०. मातृका विशेष ।
११. विस्तार ।
१२. कीचड़ ।
१३. एक ताल (संगीत) ।
१४. दक्ष प्रजापति की कन्या और घार्म की पत्नी ।
१५. दानादि से जो ख्याति प्राप्त होती है उसे कीर्ति कहा जाता है |