प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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जस्ता संज्ञा पुं॰ [सं॰ जसद] कालापन लिए सफेद या खाकी रंग की एक धातु । विशेष—इस धातु में गंधक का अंश बहुत होता है । इसक ा ब्यवहार अनेक प्रकार के कार्यों में, विशेषतः लोहे की चादरों पर, उन्हें मोरचे से बचाने के लिये कलई करने, बैटरी में बिजली उत्पन्न करने तथा बरतन बनाने आदि में होता है । भारत में इसकी सुराहियाँ बनती हैं जिनमें रखने से पानी बहुत जल्दी और खूब ठंढा हो जाता है । इसे ताँबे में मिलाने से पीतल बनता है । जर्मन सिलवर बनाने में भी इसका उपयोग होता है । विशेष रासायनिक प्रक्रिया से इसका क्षार भी बनाया जाता है, जिसे 'सफेदा' कहते हैं और जिसका व्यवहार औषधों तथा रंगों में होता है । पहले यह धातु भारत और चीन में ही मिलती थी पर बाद में बेलजियम तथा प्रूशिया में भी इसकी बहुत सी खानें मिलीं । यूरोपवालों को इसका पता बहुत हाल में लगा है ।

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