प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पुतला संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुत्तक, पुतल] [स्त्री॰ पुतली]

१. लकड़ी, मिट्टी, धातु, कपड़े आदि का बना हुआ पुरुष का आकार या मूर्ति विशेषतः वह जो विनोद या क्रीड़ा (खेल) के लिये हो । मुहा॰—किसी का पुतला बाँधना = किसी की निंदा करते फिरना । किसी की अपकीर्ति फैलाना । बदनामी करना । विशेष—भाट जिसके यहाँ कुछ नहीं पाते हैं उसके नाम का एक पुतला बाँस में बाँधकर घूमते हैं और उसे कंजूस कह कहकर गालियाँ देते हैं । इस संदर्भ में गोस्वामी तुलसीदास का यह पदांश द्रष्टव्य है,—तौ तुलसी पूतरा बाँधिहै ।

२. शव की प्राप्ति न होने पर, आटा, सरपत आदि का बना हुआ आकार जो दाह किया जाता है ।

३. जहाज के आगे का पुतला या तस्वीर । (लश॰) ।

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