प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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श्वास संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नासिका के मार्ग से प्राणावायु के भीतर जाने और बाहर निकलने की क्रिया । प्राणियों का नाक से हवा खींचने और बाहर निकालने का व्यापार । साँस । दम । उ॰—ताती ताती श्वासन बिनास्यो रूप होठन ।—शकुंतला, पृ॰ १०९ । क्रि॰ प्र॰—लेना ।—छोड़ना ।—निकलना ।—खींचना ।——रोकना । मुहा॰—श्वास रहते = प्राण रहते । जीते जी । श्वास खींचना या चढ़ाना = साँस रोके रहना । श्वास छूटना = मृत्यु होना ।

२. व्यंजनों के उच्चारण के प्रयत्न में मुँह से हवा छुटना ।

३. जल्दी जल्दी साँस लेना । हाँफना ।

४. वायु । हवा (को॰) ।

५. निश्वास लेना । आह भरता (को॰) ।

६. एक रोग जिसमें साँस अधिक वेग से और जल्दी जल्दी चलती है । दम फूलने का रोग । दमा । यौ॰—श्वासकास । विशेष—आयुर्वेंद में श्वास रोग पाँच प्रकार का कहा गया है- महाश्वास, ऊर्द्ध्व श्वास, छिन्न श्वास, तमक श्वास और क्षद्र श्वास । इनमें से प्रथम तीन असाध्य, चौथा कष्टसाध्य और पाँचवाँ साध्य कहा गया है ।

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