प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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संभोग संज्ञा पुं॰ [सं॰ सम्भोग]

१. किसी वस्तु का भली भाँति उपयोग । सुखपूर्वक व्यवहार ।

२. सुरत । रति क्रीड़ा । मैथुन ।

३. श्रृंगार रस के तीन भेदों में से एक । संयोग श्रृंगार । मिलाप की दशा ।

४. हाथी के कुंभ या मस्तक का एक भाग ।

५. स्था- यित्व । सातत्य (को॰) ।

६. आनंद । विनोद (को॰) ।

७. अधिकृति । प्रयोग । व्यवहार (को॰) । यौ॰—संभोगकाय = बुदध के तीन शरीर में से एक । भोग शरीर । संभोगक्षम = उपभोग लायक । संभोगयक्षिणी = एक योगिनी जिसे वीणा भी कहते हैं । संभोगवत् (वान्) = आनंदयुक्त । हर्षयुक्त । मौजमस्ती की जिंदगी बितानेवाला । संभोगवेश्म = रखेल का घर ।

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