मेनका स्वर्गलोकक छ सर्वश्रेष्ठ अप्सरासभ मे सँ एक छी। ई उल्लेख कएल गेल अछि कि ओ ऋषि विश्वामित्रक तपस्या भँंग केलक। मेनकाक स्वर्गक सभसँ सुन्दर अप्सरा मानल जाइत छल।

मेनका

मेनका वृषणश्र (ऋग्वेद १-५१-१३) अथवा कश्यपप्राधा (महाभारत आदिपर्व, ६८-६७)क पुत्री तथा ऊर्णयु नामक गन्धर्वक पत्नी छल। अर्जुनक जन्म समारोह तथा स्वागतमे ओ नृत्य केनए छल। अपूर्व सुन्दरी होएसँ पृषत् एही पर मोहित भ गेल जाहिसँ द्रुपद नामक पुत्र उत्पन्न भेल। इन्द्र, विश्वामित्रक तप भ्रष्ट करै के लेल हिनका भेजने छल जाहिमे ओ सफल भेल आ ओ एक कन्याक जन्म देलक। ओकरा ओ मालिनी तट पर छोडि स्वर्ग चलि गेल। शकुन पंक्षीसभद्वारा रक्षित एवम् पलित होम्एके कारण महर्षि कण्व ओ कन्याक शकुन्तला नाम देलक जे कालान्तरमे दुष्यन्तक पत्नी आ भरतक माता बनल।

मेनका अप्सराक इन्द्र वृषि विश्वमित्रक हुनकर तपस्या भंग करवाक लेल भेजने छल । मेनका जखन वृषि विश्वामित्रक तपस्या भंग केनए छल तखन विश्वमित्र मेनकाक श्राप् देलक । किछ दिन बाद मेनका विश्वामित्रक पुत्रक जन्म देलक । मेनका ओ पुत्रक जंगलमे छोडि देने छल।


सन्दर्भ सामग्रीसभ

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बाह्य जडीसभ

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एहो सभ देखी

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